Friday 18 September, 2009

बॉस हो तो ऐसा...

मेरे एक मित्र हैं राजीव किशोर। कलम घसीटू हैं। लेकिन कई बार उनकी कलम कुछ ऐसा लिख जाती है कि बस पूछिए मत। आज आपको जो पढ़ाने जा रहा हूं, वो कुछ ऐसा ही है। राजीव ने अपने बॉस की जो तस्वीर खींची है, उसे देख कर आप भी सोचने पर मजबूर हो जाएंगे। आपकी प्रतिक्रियाओं का इंतज़ार रहेगा। तो पेश-ए-ख़िदमत है... "बॉस हो तो ऐसा"
ऐसा बॉस सब को मिले। खूब डांटे। बिना मतलब के। उसकी डांट का न सिर हो, न पैर। बस हमेशा मूड खराब कर दे। उसके रहने से दफ्तर आने का मन न करे। वो जाए दो दिन होली और रात दिवाली की तरह बीते। सिंगल कॉलम की खबर छूटने पर लीड की शक्ल में डांटे। ऐसा बॉस बड़ा अच्छा होता है। आपके काम आ सकता है। कैरियर बना सकता है। हमारे एक मित्र को ऐसे ही सनकी बॉस से पाला पड़ा था। खेत खाए गदहा, मार खाए जोल्हा की तर्ज पर काम करने वाला नायाब बॉस। अपने प्रतिद्वंद्वी से थर-थर कांपने वाला बॉस। जो बस उसकी हर करतूत पर बस सज़ा देने को तैयार रहते थे। सरेआम बेइज्जत करने वाले शानदार बॉस। जिन्हें अपने पर यकीन कम और दूसरों भरोसा ज्यादा था। वो मित्र उन दिनों बड़ा परेशान रहता था। एक दिन मिला। कहा यार अब कुछ कर जाउंगा। नौकरी छोड़ दूंगा। पीआरओ बन जाउंगा। मैंने कहा- सब्र कर। बस दुआ कर कि ये बॉस बस यूं ही टिका रहे। तेरा भला हो जाएगा। उसने मुझे जी भर के गाली दी। कहा- तुझ जैसे दोस्त मिले तो दुश्मनों की दरकार ही क्या है। लेकिन मेरा ऐसा कहने के पीछे एक ख़ास मकसद था। वो ये कि वो मेहनती था और मेहनती आदमी एक जगह पर ज़्यादा दिनों तक रहे तो उसकी क़ीमत कम हो जाती है। मैं सोचता था कि वो उस सरहद को लांघ दे। बड़े बाज़ार में बड़ा बिकाऊ माल बने। लेकिन ये सब तबतक संभव नहीं था जबतक वो उस कुएं में कछुए की तरह पड़ रहता। उसे प्यार मिलता तो उसके भीतर काम बदलने की बेचैनी कभी नहीं आती। मेरा यकीन सही निकला। एक दिन बॉस से टूटकर वो नया काम ढूंढने निकला और उसकी बात बन गई। उसे वो मिला जो उसे उस बॉस से काफी दूर ले गया। आज अचानक वो मुझसे टकरा गया। काफी हैप्पी-हैप्पी दिखा। और उन दिनों को याद कर शायद उसे समझ आ गया हो कि बॉस हो तो ऐसा जो जिंदगी के नए मायने समझाए और बदलाव और तरक्की का कारण बने। लेकिन ऐसा बॉस खुद अपने लिए जरा खतरनाक हो सकता है। वो कैसे ये सोचना हमारा नहीं खुद उस बॉस का काम है। हम तो बस यही कहेंगे कि बॉस हो तो ऐसा..।

2 comments:

Aadarsh Rathore said...

बॉस
शब्द ही काफी है

Aadarsh Rathore said...

शानदार लिखा है