Monday, 12 January 2009
राजा पीटर का एक और चेहरा!
ये बात कोई दस साल पुरानी है। उन दिनों मैं अपने गृह नगर जमशेदपुर में था और झारखंड के लीडिंग न्यूज़पेपर 'प्रभात ख़बर' में काम करता था। तब क्राइम रिपोर्टर नहीं था, लेकिन ख़बरों के सिलसिले में मेरा अक्सर कोर्ट में जाना लगा रहता था। उस रोज़ दोपहर को भी जब मैं कोर्ट परिसर में पहुंचा, तो एक पत्रकार साथी से मुलाक़ात हो गई। हाल-चाल पूछने के बाद उसने कहा, 'यार, राजा तुम्हें खोज रहा है...।' ये बात सुनते ही मैं चौंक गया। दरअसल, एक खूंखार क्रिमिनल के तौर पर मैंने राजा पीटर का नाम दर्जनों बार अख़बारों में पढ़ा था, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर तब तक मेरी उससे कोई मुलाक़ात नहीं थी। इसलिए मेरा चौंकना लाज़िमी था। मैंने अपने उस साथी से राजा के मुझे ढूंढ़ने की वजह भी पूछी, लेकिन उसने कहा कि ये राजा ही बता सकता है। राजा उन दिनों जमशेदपुर जेल में बंद था और उस पर क़त्ल से लेकर अपहरण और जबरन वसूली के कई मामले दर्ज थे। कुल मिलाकर, जुर्म की दुनिया में राजा पीटर का नाम काफ़ी ऊपर था।
ख़ैर, अपने दोस्त की बात सुनकर मैं कोर्ट परिसर में बने हाजत (वो जगह जहां सुनवाई के लिए लाए गए क़ैदियों को रखा जाता है) के पास जा पहुंचा। मुझे देखते ही कैदियों की भीड़ से आवाज़ आई और अगले ही पल मैं राजा पीटर से मुख़ातिब था। दुबला-पतला और दरम्याने कद का एक ऐसा नौजवान, जिसे देख कर किसी के लिए भी उसके खूंखार क्रिमिनल होने पर यकीन करना मुश्किल हो जाए।
बहरहाल, मैंने उससे मुझे ढूंढ़ने की वजह पूछी तो बिना कुछ कहे सलाखों के पीछे से राजा ने कुछ रुपए मेरी ओर बढ़ा दिए। मैं हैरान!!! अब इससे पहले कि मैं कुछ समझ पाता, उसने मुझे अख़बार में छपी मेरी एक ख़बर का हवाला दिया और ये रुपए उस शख्स तक पहुंचा देने की गुज़ारिश की, जिसके बारे में ख़बर छपी थी। दरअसल, उस रोज़ मैंने 'प्रभात ख़बर' में एक ऐसे परिवार के बारे में स्टोरी लिखी थी, जो ग़रीबी और बीमारी के चक्रव्यूह में फंस कर तबाह हो चला था। बीवी की झुलस कर मौत हो चुकी थी और कैंसर का शिकार शौहर सरकारी अस्पताल में पड़ा मौत का इंतज़ार कर रहा था। बच्चे बाप के जीते-जी यतीम हो गए थे।
अब राजा एक सांस में कह गया, 'जेल में बंद सभी कैदियों ने आपकी ख़बर पढ़ी और सबको बड़ा अफ़सोस हुआ। हम कैदियों ने जेल में ही इस परिवार की मदद का फ़ैसला किया और आपस में चंदा कर ये 25 सौ रुपए इकट्ठा किए हैं। ये रुपए आप उस आदमी तक पहुंचा दीजिए...' राजा पीटर के मुंह से ये बातें सुन कर मैं अवाक रह गया! उससे मुझे ऐसे किसी बात की कोई उम्मीद नहीं थी। तब तक दूसरे तमाम लोगों की तरह मैं भी किसी क्रिमिनल बैकग्राउंड के इंसान को सिर्फ़ और सिर्फ़ एक ज़ालिम और पत्थर दिल इंसान के तौर पर ही देखता था। लेकिन राजा की इस कोशिश ने मेरा नज़रिया बदल दिया।
बहरहाल, इसके बाद पिछले दस सालों में मेरी राजा से शायद दस बार भी बात नहीं हुई होगी। लेकिन ना तो राजा मुझे भूल सका था और ना मैं राजा को। तमाड़ विधान सभा उप चुनाव में झारखंड के दिशोम गुरु शिबू सोरेन को पटखनी देने के बाद जब मैंने जीत की खुशी में झूमते राजा को दिल्ली से फ़ोन किया, तो एक बार फिर से उसने मुझे चौंका दिया। मुबारकबाद लेने के बाद उसने एक बार फिर से उस वाकये का ज़िक्र छेड़ दिया, जो दस साल पहले गुज़रा था... फ़ोन रखने के बाद मैं सोचने लगा कि शायद यही वजह है राजा पीटर आज झारखंड का नया 'राजा' है...
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12 comments:
घटना साफ करती है कि राजा एक अच्छा इंसान है। उसके अपराधी बनने के लिए उसका परिवेश ही ज़िम्मेदार रहा होगा।
इंसान के कई चेहरे होते हैं एक चेहरे के चलते वो अच्छा या बुरा नही होता
राजा पीटर के भीतर का इंसान सत्ता के मद में चूर ना हो पाए ,यही उम्मीद रखना चाहिए । सियासत के घुप्प अंधेरे में आम इंसान के लिए शायद उम्मीद की कहीं कोई लौ अब भी टिमटिमा रही है ।
एक नए पहलू पर जानकारी देने के लिए धन्यवाद. मैं भी जानना चाहता था की यह राजा पीटर है कौन जिसने एक बड़ी ख़बर को जन्म दिया .
कहते हैं कि हर अपराधी का भविष्य है और हर संत का भूत.
राजा पीटर का वाक्य इसकी पुष्टि करता है.
अच्छी पोस्ट... राजा पीटर जैसे लोगों के बारे में कई बार ऐसे मिथक बन जाते हैं जिससे हम उनके करीब जाने का साहस ही नहीं जुटा पाते... ऐसे लोगों के दिल में भी एक कोना ऐसा होता है जिसमें रिश्ते और जज्बात अठखेलियां करते रहते हैं... कभी कभी उनकी अच्छाई को भी सामने लाना चाहिए... किसी बाहुबलि की गलती पर बवाल मचाना तो आम बात है लेकिन ऐसे वाक्ये भी शेयर किए जाने चाहिए... तभी किसी इंसान की कोई मुकम्मिल तस्वीर बनाई जा सके...
raja ke bare me likhkar apne yee bhi batawa hai..ki hamare looktantra me janta..wo bhi bhadesh voter kitna samajhdar hai..raja ke samne nai chunoiti hai...dekhna hai kajal ki kothari me raja kite kale hote hai...
पीटर के बारे में जो कुछ आपने लिखा उसको पढ़ कर मैं अचंभित हूं...आपने अपराधिक छवि वाले व्यक्ति के एक दूसरे पहलू को छेड़कर एक नया विषय दे दिया है...मसलन कि क्या अपराधिक छवि वाले राजनीतिज्ञों में कुछ रॉबिनहुड भी हैं?? ढेरो सवाल पैदा हो रहे हैं...अगर आपकी मेरे इस कमेंट पर नज़र जाए तो कृपया अगले अंक में
राजा पीटर किस हालात में कैदी बना, वह क्यों जेलों और अपराधिक पृष्ठभूमि में संलिप्त रहा और शिबू के खिलाफ उसने राजनीतिक मोर्चा किस कारण से खोला इत्यादि का इंटरव्यू आशा करता हूं आप अपने ब्लॉग में ज़रूर लिखेंगे....
आज की जो स्थिति है,उसमे मान लिया गया है कि दबंग,अपराधी,कुचक्र रचने में माहिर तथा भ्रष्ट व्यक्ति ही राजनीति में सफलता पाता है.
हमने दोनों बातें सुनी थी राजा पीटर के विषय में.कुछ लोगों के मत में वे नक्सलियों के साथी तथा अपराधी है तो कुछ लोगों का कहना है कि तमाड़ क्षेत्र में उन्होंने जनकल्याण के लिए बहुत काम किया है..
आपने बड़ा ही अच्छा किया यह प्रकरण वर्णित कर. राजनेताओं के कुकर्मो की सुन सुन कर आहात रह रहे मन को बड़ी शान्ति मिली. एक पत्रकार की जितनी जिम्मेदारी ग़लत दिखने की बनती है,उतनी ही सही दिखने की भी .आपने अपने कर्तब्य का समुचित पालन किया .. आपका बहुत बहुत आभार.
ब्लागरी करने वालों को देख पहले तो श्रद्धा उपजती है फ़िर खीज कि मेरे पास लिखने सुनांने को इतना है लेकिन कमबख्त टाइम ही नहीं । और लोग हैं कि लिखे ही जा रहे हैं वो भी एक दो पाव नहीं पसेरी भर। ब्लोगेर्स मुझे किसी बाजीगर या बावले ले कम नही लगते । रचना अच्छी बात है लेकिन रोज़ सोलह घंटे काम करने या लिखते रहने के बाद ब्लागरी का बी भी लिखने के लिए हिम्मत जुटानी पड़ती है । कभी लगता है कि ब्लागरी अफीम कि तरह है और ब्लॉगर अफीमची । ब्लॉग पर कुछ तो सटीक टिप्पणी करते हैं लेकिन कुछ खाम खाँ के शामिलबाजा बन जाते हैं। जैसे भीड़ का बे वजह कोई दे रहा हो ताली पे ताली लेकिन भेजा है खाली है। लगे रहो भाई....
bahut sahi kaha hai aapne. ek insan ke byaktitwa ke kai aayam hote hai.
प्रभु मैंने सुना है कि राजा ने अपनी पहली पत्नी का खुद ही क़त्ल कर दिया था?
कितनी सच्चाई है इस बात में। कृपया राजा पीटर के बारे में और जानकारी उपलब्ध कराएं।
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