पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई को इन दिनों हिंदुस्तान में कौन सबसे प्यारा है? ये सवाल आपको अजीब लग सकता है... और शायद इसका जवाब आपको उससे भी अजीब लगे, लेकिन बात सोचनेवाली है। मुझे तो लगता है कि महाराष्ट्र नव निर्माण सेना के राज ठाकरे ही वो शख़्स हैं, जिन्हें आजकल आईएसआई सबसे ज्यादा पसंद करती है। आप पूछ सकते हैं, भला ऐसा क्यों? लेकिन मेरा जवाब सीधा सा है -- आईएसआई हिंदुस्तान में जो काम करोड़ों खर्च कर और अनगिनत जानों की कुर्बानियां दे कर सालों से करती आ रही है, राज ठाकरे वही काम इन दिनों बैठे-ठाले किए जा रहे हैं। ये और बात है कि ऐसा करने के पीछे दोनों का मकसद जुदा हो सकता है।
दरअसल, पाकिस्तान में सियासत की धुरी शुरू से ही हिंदुस्तान से नफ़रत की बुनियाद पर टिकी रही है। चाहे वो जनरल ज़ियाउल हक हों, बेनज़ीर भुट्टो, नवाज़ शरीफ़ या फिर परवेज़ मुशर्रफ़, अपने-अपने दौर में किसी-ना-किसी बहाने से इन सभी पाकिस्तानी सियासतदानों ने हिंदुस्तान और हिंदुस्तानियों से नफ़रत को हवा दी है। यहां जारी आतंकवाद, मुंबई के बम धमाके, दाऊद इब्राहिम को सरपरस्ती, कश्मीर के मौजूदा हालात और करगिल की लड़ाई इस बात के पुख़्ता सुबूत हैं। और यही तथ्य इस बात के भी सुबूत हैं कि किस तरह पाकिस्तानी खुफ़िया एजेंसी आईएसआई लगातार इस तरह की हरकतों को बढ़ावा देती रही है। हिंदुस्तानियों के बीच फूट, दंगा और हमारे देश को अस्थिर करने की कोशिश आईएसआई के एजेंडे में पहले से ही सबसे ऊपर रहा है... लेकिन नए दौर में खुद 'हमारे अपने' राज ठाकरे ही आईएसआई का काम हल्का किए दे रहे हैं।
मराठियों का वोट बटोरने और नफ़रत की सियासत करने वाले अपने ही चाचा बाल ठाकरे का कद छोटा करने के लिए राज ठाकरे ने मराठियों और गैरमराठियों के बीच जो खाई खोदी है, उसने आईएसआई का काम और आसान कर दिया है। या फिर यूं कहें कि जो काम अब तक आईएसआई लाख कोशिशों के बावजूद पूरी तरह नहीं कर पाई है, राज ठाकरे सत्ता की लालच में लगातार वही काम किए दे रहे हैं। अनेकता में एकता ही हिंदुस्तान की ख़ासियत रही है और लाख कोशिशों के बावजूद आईएसआई हिंदुस्तान की इस ख़ासियत को छिन्न-भिन्न करने में नाकाम रही है, लेकिन गैरमराठियों के खिलाफ़ राज ठाकरे की बयानबाज़ियों ने अब हिंदुस्तान की इसी ख़ासियत पर ख़तरा पैदा कर दिया है।
राज के उकसावे पर गुंडे उत्तर भारतीयों को पीट कर रहे हैं, मौत के घाट उतार रहे हैं... और तिस पर राजनीति का घिनौना रूप ये है कि इतना सबकुछ होने के बावजूद महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार को राज के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने के लिए सुबूत नहीं मिलते। कांग्रेस और शिव सेना के बीच छत्तीस का रिश्ता है और दुश्मन के दुश्मन को दोस्त मानने के फलसफ़े पर अमल करते हुए महाराष्ट्र सरकार राज ठाकरे की हर करतूत पर आंख मूंदे बैठी है। महाराष्ट्र की पुलिस एक भटके हुए गैर मराठी नौजवान को तो सरेआम अपनी गोलियों का निशाना बना सकती है, लेकिन लोगों को भटकानेवाले राज ठाकरे का बाल भी बांका नहीं कर सकती।
ठाकरे चाचा-भतीजे पर एक तो करैला दूजा नीम चढ़ा वाली कहावत बिल्कुल ठीक बैठती है। कमाल देखिए कि जिस पढ़ने-लिखनेवाले लेकिन भटके हुए नौजवान राहुल राज को मुंबई पुलिस गलत तरीके से मौत के घाट उतार देती है, उसे दूसरे ही दिन राज के चाचा और नफ़रत की राजनीति के 'पुरोधा' बाल ठाकरे बिहारी माफ़िया करार देते हैं। माफ़िया क्या होता है? जुर्म की दुनिया में किस हद से गुज़रने पर किसी के नाम के साथ ये बदनामी का तमगा जुड़ता है, ये कोई भी आसानी से समझ सकता है। लेकिन बाल ठाकरे को ये बात कौन समझाए, जिनसे इन बुढ़ापे में सत्तामोह और पुत्रमोह अनर्थ करवा रहा है।
राज ठाकरे की अनर्गल बयानबाज़ी का असर हिंदुस्तान में चारों को दिखने लगा है। कभी बिहार जलता है, तो कभी गोरखपुर के किसी घर में मातम पसर जाता है और कभी जमशेदपुर में टाटा मोटर्स के मराठी अधिकारी स्थानीय लोगों के निशाने पर आ जाते हैं। चंद संगदिल लोग राज के साथ आ खड़े हैं और राज उनके भरोसे कुर्सी का मज़ा लेने का ख्वाब बुन रहे हैं। लेकिन राज की इन हरकतों से देश गृहयुद्ध की ओर बढ़ने लगा है। ऐसे में वक्त रहते अगर केंद्र और महाराष्ट्र की कांग्रेस सरकार को होश नहीं आता है, तो बहुत मुमकिन है कि आईएसआई को आनेवाले दिनों में अपना एजेंडा ही बदलना पड़ जाए, क्योंकि हिंदुस्तान के बंटने के साथ ही आईएसआई का काम भी पूरा हो जाएगा।
Thursday, 30 October 2008
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3 comments:
बहुत बढ़िया। राज ठाकरे सचमुच मुश्किल पैदा कर रहे हैं।
बहुत ठीक | जो काम आई एस आई करना चाहती है वो राज ठाकरे कर ही रहा है |
आपका चिन्तन ११०% सही है। कांग्रेस बहुत खतनाक खेल खेल रही है।
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