Monday, 10 November 2008

फ़्यूचर प्लानिंग

मैं जिस रास्ते से रोज़ दफ़्तर जाता हूं वो दिल्ली की सबसे व्यस्त और तेज़ सड़कों में एक है। एक ऐसा रास्ता, जहां आप अचानक अपनी गाड़ी रोकने की सोच भी नहीं सकते। क्योंकि आपने गाड़ी रोकी नहीं कि पीछे से आपको कोई ज़ोरदार टक्कर दे मारेगा। और अगर आपकी किस्मत अच्छी रही, तो फिर हॉर्न बजा-बजाकर लोग आपका दिमाग़ ख़राब कर देंगे।
इसी रास्ते में फुटपाथ पर मैं रोज़ एक भिखारी को देखता हूं। उसकी शक्ल-सूरत तो किसी भी दूसरे भिखारी जैसी है, लेकिन उसे मैंने कभी किसी के सामने हाथ फैला कर कुछ मांगते हुए नहीं देखा। हां, फुटपाथ पर बैठा-बैठा वो रोज़ आते-जाते लोगों को सलाम ज़रूर करता है। एक रोज़ उसने मुझे भी सलाम किया। पहले मुझे लगा कि उसने किसी और को विश किया होगा... लेकिन अगले दिन जब इत्तेफ़ाक से मेरी नज़र उस पर गई, तो वो उसी अंदाज़ में मुस्कुराता हुआ मुझे सलाम कर रहा था। मुझे बड़ी हैरानी हुई। अगले रोज़ मैंने उससे मिलने का फ़ैसला किया।
चूंकि मैं पहले से तैयार था... भिखारी के पास पहुंचते ही मैंने अपनी गाड़ी धीमी कर ली। उसे कुछ रुपए दिए और लोगों को सलाम करने की वजह पूछ ली। उसने कहा, 'मालिक, मैं तो यहां कल की फ़िक्र में बैठा हूं। आज की रोटी तो ऊपरवाले के हाथ है।' मैं हैरान था... एक मैले-कुचैले कपड़े में बैठे भिखारी की 'फ़्यूचर प्लानिंग' देखकर...

9 comments:

संगीता पुरी said...

सभी पाठक भी हैरान ही होंगे... एक मैले-कुचैले कपड़े में बैठे भिखारी की 'फ़्यूचर प्लानिंग' देखकर...

Anonymous said...

भाई साहब नमस्कार ।
मैले-कुचैले कपड़े में बैठा भिखारी जब फ्यूचर प्लानिंग के लिए इतना सोचता है, तो हम क्यों नहीं सोचते । जरा सोचिए कि हम भविष्य में क्या करने वाले हैं ।
भिखारियों की फ्यूचर प्लानिंग पर एक बात याद आ गई । शायद आठवीं क्लास में इंगलिश बुक में थी । एक अंग्रेज भिखारी चिड़ियों को उड़ते देख खुद आसमान में उड़ने की कल्पना करता है । इस कल्पना को साकार करने के लिए एक बच्चे पर प्रयोग शुरू कर देता है । उस बच्चे को चिड़ियों के खाने वाली चीजें खिलाता है जिससे बच्चा बीमार हो जाता है । बच्चा मर जाता है, मामला अदालत में जाता है । जहां जज कारण पूछते हैं,भिखारी का उत्तर होता है कि मैं आसमान में उड़ने के लिए प्रयोग कर रहा था । उसके बाद अंग्रेजों के मन में आसमान में उड़ने की योजना आई । यहीं से हवाई जहाज बनाने की योजना तैयार की गई ।

जितेन्द़ भगत said...

भि‍खारी सही सोच रहा है क्‍योंकि‍ 2010/कॉमनवेल्‍थ गेम तक संभवत: दि‍ल्‍ली से भि‍खारि‍यों को हटाने की बात है, पर जो रेड लाइट पर बैठा है, सि‍र्फ वही भि‍खमंगा नहीं है:)

Dileepraaj Nagpal said...

आदमी आदमी को क्या देगा,
जो भी देगा वही खुदा देगा...
अच्छा लगा फ्यूचर प्लानिंग के बारे में पढ़कर1

जागो इंडिया जागो said...

·धन्य भाग्य आपने गाड़ी धीमी की । सच बताना आप गाड़ी में थे या पैदल । या फिर आपकी गाड़ी का अर्थ स्कूटर या मोटरसाइकिल तो नहीं । तय है आप कार में नहीं थे । पूछेंगे क्यो ? इसलिए कि आपने ही बताया है कि आपकी दिल्लीं में गाड़ी रोकते ही लोग पीछे से टक्कर बजती है ? अगर आपने गाड़ी रोकी होती तो फ्यूचर प्लानिंग की जगह एक्सिडेंट का अनुभव लिखा होता । जो भी हो, आपके चिंतन में संवेदना बची लग रही है। आप पक्के दिल्लीवाले नहीं हो । फूटपाथ पर सिर्फ भिखारी ही नहीं बैठता । कलकत्ता या पटना घूम आओ। पता चल जाएगा बड़े बड़े चिंतक फूटपाथ ने पैदा कर दिए।

जागो इंडिया जागो said...

धन्य भाग्य आपने गाड़ी धीमी की । सच बताना आप गाड़ी में थे या पैदल । या फिर आपकी गाड़ी का अर्थ स्कूटर या मोटरसाइकिल तो नहीं । तय है आप कार में नहीं थे । पूछेंगे क्यो ? इसलिए कि आपने ही बताया है कि आपकी दिल्लीं में गाड़ी रोकते ही पीछे से टक्कर बजती है ? अगर आपने गाड़ी रोकी होती तो फ्यूचर प्लानिंग की जगह एक्सिडेंट का अनुभव लिखा होता । जो भी हो, आपके चिंतन में संवेदना बची लग रही है। आप पक्के दिल्लीवाले नहीं हो । फूटपाथ पर सिर्फ भिखारी ही नहीं बैठता । कलकत्ता या पटना घूम आओ। पता चल जाएगा बड़े बड़े चिंतक फूटपाथ ने पैदा कर दिए ।

Anonymous said...

इस कूड़ा-कबाड़ा में कभी अच्छा पढ़ने का मन करता है तो आपका ब्लॉग खोल के पढ़ लेता हूं जो भावनाएं हमारे मन में होती हैं उन्होने आप बहुत सरलता से सबके समाने रख देते है । आपका ब्लॉग पढ़ने के बाद एक ही बात जुबां पर आती हैं ग़ज़ब..............

ravish ranjan shukla said...

bhai dada bhikari ki future planning bahut achhi hai...lakin bhikari ka darsan sachmuch charvaak darsan se kahni jyada viksit hai...bike rok kar apne haalchaal poocha achha laga..samvedana ise tarah hoona chahiye...antim admi ke liye.....

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

...............हैरानी की कोई बात नहीं....सबकी अपनी फ्यूचर-प्लानिंग होती है.....हैरानी की बात तो इतनी-सी है....कि वो कहाँ पैदा हुआ....और हम कहाँ....हम भी तो उसकी जगह हो सकते थे.....हा..हा..हा.हा..